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    Cyclone Biporjoy: कितना कहर बरपाएगा चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’? जानिए किन-किन जगहों पर पड़ेगा असर

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    देश के तटीय इलाकों पर एक और चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार (6 जून) को कहा कि गुजरात में दक्षिणी पोरबंदर में दक्षिण-पूर्व अरब सागर पर कम दबाव का क्षेत्र उत्तर-पश्चिम की तरफ बढ़ सकता है. इसके चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है. इस तूफान को ‘बिपरजॉय’ (Cyclone Biporjoy) कहा जाएगा. बांग्लादेश की तरफ से ये नाम दिया गया है.

    मौसम विभाग ने एक बुलेटिन में कहा कि कम दबाव का क्षेत्र सुबह 8.30 बजे दक्षिण-पश्चिम गोवा से करीब 950 किलोमीटर, दक्षिण-दक्षिणपश्चिम मुंबई से 1,100 किमी, दक्षिण पोरबंदर से 1,190 किमी और पाकिस्तान में दक्षिण कराची से 1,490 किलोमीटर पर बना हुआ था. अगले 24 घंटों के दौरान दबाव क्षेत्र के उत्तर की ओर बढ़ने की संभावना है. यह पूर्व-मध्य अरब सागर और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर पर चक्रवाती तूफान में बदल सकता है.

    मौसम विभाग ने बताया कि चक्रवाती तूफान के गुरुवार (8 जून) की सुबह तक भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने और शुक्रवार (9 जून) शाम तक प्रचंड रूप लेने की संभावना है. इसका सीधा असर केरल-कर्नाटक के तटों और लक्षद्वीप-मालदीव के इलाकों में देखने को मिलेगा. इसके साथ ही कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर 8 से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है. खतरे को देखते हुए समुद्र में गए मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गई है.

    आईएमडी ने सोमवार (5 जून) को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने और अगले दो दिनों में इसमें तेजी आने के कारण चक्रवाती हवाएं मानसून के केरल तट की ओर आगमन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि, केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख नहीं बताई गई है. वहीं, ‘स्काइमेट वेदर’ ने बताया कि केरल में मानसून 8 या 9 को दस्तक दे सकता है लेकिन हल्की बारिश की ही संभावना है.

    आईएमडी (IMD) में वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएस पई ने बताया कि केरल में सोमवार (5 जून) को भी अच्छी बारिश हुई थी और अगले दो से तीन दिन में मानसून के आगमन के लिए मौसम अनुकूल है. पई ने कहा कि चक्रवाती तूफान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे कम दबाव के कारण दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश होगी. चक्रवात के कमजोर होने के बाद मानसून दक्षिणी प्रायद्वीप से आगे बढ़ेगा.

    बीते सालों के रिकॉर्ड के मुताबिक इस बार दक्षिण पूर्वी मानसून (South East Monsoon) में देरी हुई है. साल 2022 में 29 मई, 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को मानसून ने दस्तक दी थी. वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मानसून में थोड़ी देर होने का मतलब यह नहीं होता कि मानसून देश के अन्य हिस्सों में भी देरी से पहुंचेगा. इससे मानसून के दौरान देशभर में कुल बारिश पर भी असर नहीं पड़ता है.

    (Input- भाषा)

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