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Sunday, December 10, 2023

Jalna Maratha Protest: मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण आंदोलन जारी रखने का किया एलान, कहा- ‘जब तक सरकार…’

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय (Maratha Reservation) को आरक्षण देने की मांग को लेकर राज्य के जालना (Jalna) जिले में अनशन मनोज जरांगे (Manoj Jarange) अनशन कर रहे हैं. उन्होंने गुरुवार को कहा कि उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक राज्य सरकार मराठवड़ा इलाके में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए वंशावली नियमों में ढील नहीं दे देती.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मराठवाड़ा जिले में रहने वाले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की घोषणा की थी. शिंदे ने कहा था कि इलाके में रहने वाले समुदाय के उन लोगों को प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिनके पास निजाम शासन के दौरान बने एवं कुनबी जाति का उल्लेख करने वाले राजस्व और शैक्षणिक अभिलेख हैं. मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन निजाम शासित हैदराबाद राज्य के अंतर्गत आता था. जिले के अंतरवाली सारथी गांव में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जरांगे ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उसने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो पहले नहीं हुए थे. हालांकि, वह इससे संतुष्ट नहीं दिखे.

जारांगे ने कहा, ‘‘हमें अभी तक सरकार के फैसले के बारे में सरकारी प्रस्ताव (जीआर) नहीं मिला है, लेकिन हमें पता चला है कि यह उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए है जिनके पास वंशावली है. यदि हमारे पास वंशावली है, तो हमें (कुनबी जाति) प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जीआर की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है.’’ कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है और उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ प्राप्त होता है.

जारांगे के विरोध प्रदर्शन से राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. उन्होंने कहा कि वह वंशावली के नियमों में ढील चाहते हैं. जरांगे ने कहा, ‘‘मराठवाड़ा में रहने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को बिना किसी भेदभाव के कुनबी जाति का प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए. सरकार की ओर से कोई इस संबंध में विशेष रूप से उल्लेखित जीआर लेकर आए और उसके बाद वह आंदोलन समाप्त करेंगे.’’ मनोज जारांगे कहा कि वर्तमान स्थिति से उन लोगों को राहत नहीं मिलेगी जिनके पास अपनी वंशावली साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं है.

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