राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एलजी विनय कुमार सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) और सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा.
ताजा खबर यह है कि दिल्ली सरकार सेवा विभाग ने बुधवार को दिल्ली सरकार (Delhi government) के तहत आने वाले सभी विभागों, बोर्ड, आयोगों और स्वायत्त निकायों को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि अब फेलो और सलाहकारों की नियुक्ति (appointing fellows and assistants) वो नहीं कर सकते. इसके पहले उपराज्यपाल से मंजूरी लेने को कहा गया है. सभी विभागों और बोर्डों से कहा गया है कि आप बिना पूर्व मंजूरी के किसी को ‘फेलो’ और सलाहकार के रूप में नियुक्ति नहीं कर सकते.
दिल्ली सरकार सेवा विभाग की ओर से यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है जब कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने भर्ती में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए विभिन्न विभागों में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त लगभग 400 ‘विशेषज्ञों’ की सेवाओं को समाप्त कर दिया था. इस फैसले को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने ‘असंवैधानिक’ करार दिया था और वह इसे अदालत में चुनौती देने की योजना बना रही है.
बता दें कि 19 मई को केंद्र का अध्यादेश लागू होने के बाद दिल्ली सरकार सेवा विभाग का नियंत्रण भी एलजी के हाथों में आ गया है. अध्यादेश अमल में आते ही एलजी विनय कुमार सक्सेना ने एक फैसला लेते हुए दिल्ली सरकार के 23 प्रमुख विभागों, निगमों, बोर्डों, सोसायटियों और स्वायत्त निकायों में विशेषज्ञ के तौर पर काम पर रखे गए 400 से ज्यादा प्राइवेट लोगों को नौकरी से हटा दिया. एलजी के इस फैसले के बाद से दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच तनातनी पहले से ज्यादा बढ़ गई है. अरविंद केजरीवाल सरकार एलजी के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिए हैं.