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Saturday, April 20, 2024

क्या है US debt ceiling: जानिए आख़िर कर्ज में फंसे ‘सुपरपावर’ अमेरिका के लिए क्यों है इतना जरूरी ?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और निचले हाउस के स्पीकर केविन मैकार्थी ने 1 जनवरी, 2025 तक डेट सीलिंग (debt ceiling) यानी ऋण लेने की सीमा को हटाने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि इस बिल के पास होने के बाद अमेरिकी सरकार तय लिमिट से अधिक ऋण ले सकती है।

बता दें कि अमेरिका की संसद ने कानून बनाकर इस कर्ज को लेने की सीमा तय की हुई है, जिसे ऋण सीमा (Debt Ceiling) कहा जाता है। अमेरिकी संविधान के अनुसार कांग्रेस (संसद) को सरकारी खर्च को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है।

इसी के साथ 31.4 ट्रिलियन डॉलर की ऋण सीमा (debt ceiling) हटाने से अमेरिकी सरकार को अपने ऋण पर चूक से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है। बाइडेन और रिपब्लिकन पार्टी के बीच हफ्तों तक चली बातचीत के बाद यह समझौता हुआ है।

जो बाइडेन ने कांग्रेस से सरकार की उधार सीमा बढ़ाने और अमेरिकी पर ऋण चुकाने पर डिफ़ॉल्ट होने से रोकने के लिए एक सौदा पारित करने का आग्रह किया था।

इस समझौते से अमेरिका पर छाए कर्ज संकट के बादल छंटने की उम्मीद जगी है। शनिवार देर रात देश की कर्ज लेने की सीमा (US Debt Ceiling) बढ़ाने पर जो बाइडेन और निचले सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई।

इसके साथ ही दोनों संघीय खर्च को सीमित करने और अमेरिका को संभावित चूक से बचाने के लिए ‘समझौते’ पर तैयार हो गए हैं। अब वार्ताकार पूरी कोशिश में हैं कि तेजी से इस बारे में बिल लाया जाए ताकि 5 जून से पहले उसे उच्च सदन सीनेट से भी मंजूर कराया जा सके।

मैकार्थी का कहना है कि निचला सदन बिल पर बुधवार को वोट करेगा ताकि सीनेट को भी इस पर विचार-विमर्श के लिए समय मिल जाए। बता दें कि 5 जून की समयसीमा से पहले संसद की मंजूरी के लिए दोनों पक्षों का इस समझौते पर सहमत होना जरूरी है।

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने कहा है कि यदि 31.4 ट्रिलियन डॉलर की ऋण सीमा को नहीं हटाया जाता है, तो देश के पास 1 जून को अपने बिलों का भुगतान करने के लिए धन की कमी हो सकती है।

विभाग के अनुसार, यदि जल्द से जल्द कुछ नहीं किया जाता है, तो यह एक अभूतपूर्व डिफ़ॉल्ट को ट्रिगर कर सकता है और इसके चलते बाजार बुरी तरह प्रभावित हो सकते है तथा देश मंदी की ओर भी जा सकता है।

इस समय अमेरिका पर कुल कर्ज बढ़कर 31.46 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। भारतीय करंसी के हिसाब से ये कर्ज 260 लाख करोड़ रुपये होता है। कोविड महामारी से पहले अमेरिका पर अमेरिका पर 22.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था।

WITN

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